इनपुट डिवाइस:- वह युक्ति जिसके माध्यम से डाटा और सूचना कंप्यूटर में प्रविष्ट की जाती है इनपुट डिवाइस कहलाती है | जैसे की बोर्ड ,माउस आदि
कुछ प्रमुख इनपुट डिवाइस निम्नलिखित है
कीबोर्ड ,माउस ,जॉय स्टिक, प्रकाशीय पेन ,स्कैनर ,बारकोड रीडर
की बोर्ड एक इनपुट डिवाइस है ।की बोर्ड का अविष्कार क्रिस्टोफर लैथम शोलैज ने 1863-64 ई0 मे किया था। कीबोर्ड को हिंदी मे कुंजीपटल के नाम से जाना जाता है। एक साधारण की बोर्ड मे 104-107 कुंजीयां होती है। की बोर्ड का मुख्य उपयोग टेक्स्ट लिखने के लिए किया जाता है इसके अलावा माउस की तरह भी इसका उपयोग किया जा सकता है। वर्तमान समय मे प्रयोग होने वाले कीबोर्ड मे QWERTY पैटर्न का उपयोग किया जाता है।
की बोर्ड की कुंजियों को उनके कार्यों के आधार पर 6 भागो मे बांटा गया है -
Function keys - इनकी संख्या 12 होती है। यह कीबोर्ड मे सबसे ऊपर होती है। इनका उपयोग किसी विशेष कार्य को करने के लिए किया जाता है साथ ही इनका हर प्रोग्राम मे अलग अलग कार्य होता है। जैसे F5 का प्रयोग रिफ्रेश करने के लिए, Word मे Goto dialog box के लिए जबकि PowerPoint मे स्लाइड शो के लिए।
Typing keys - ये Alphabet और नंबर से मिलकर बनती है अतः इसे एलफा न्यूमेरिक key भी कहते हैं।इसके अंतर्गत सभी प्रकार के symbols और punctuation marks शामिल होते हैं।
Control keys - इनका उपयोग अकेले या किसी अन्य कुंजी के साथ मिलकर किसी निश्चित कार्य को करने के लिए किया जाता है ।Esc, Ctrl, Alt, Window ये मुख्य कंट्रोल कीज हैं इसके अलावा Menu key, Pause Break key, Prt Scr key, Scroll lock key ये भी कंट्रोल key के अन्तर्गत आती है।
Navigation keys - इनका मुख्य उपयोग डॉक्युमेंट्स या वेबपेज मे इधर-उधर जाने के लिए किया जाता है। इनकी संख्या 7 होती है। Arrow key, Home, End , Insert, Pageup , Page down, Delete.
Indicator light -इनकी संख्या 3 होती है । Num lock, Caps Lock, Scroll Lock
Numeric keypad - इसको हम कैल्कुलेटर की्स भी कहते हैं क्युकी इनका उपयोग गणना करने के लिए किया जाता है ।
F1- किसी भी सॉफ्टवेयर या प्रोग्राम का HELP & SUPPORT CENTRE OPEN करने के लिए ।
F2- किसी भी फ़ाइल या फोल्डर को रिनेम करने के लिए।
F3- Search ऑप्शन ओपन करने के लिए ।
F4 - इस कुंजी का उपयोग Alt के साथ करने पर शटडाउन ऑप्शन ओपन हो जाता है ।
F5- रिफ्रेश करने के लिए ।
F6- इस key का उपयोग ब्राउज़र के एड्रेस बार पर कर्सर ले जाने के लिए करते है ।
F7- इस कुंजी का विंडोज मे तो कोई उपयोग नहीं है लेकिन MS Word और एक्सेल जैसे प्रोग्राम मे स्पेल और ग्रामर जांचने के लिए इस कुंजी का उपयोग किया जाता है ।
F8- Boot Menu पर जाने के लिए। Windows Install करते समय इस कुंजी का उपयोग किया जाता है।
F9- माईक्रोसॉफ़्ट आउटलुक मे ईमेल भेजने और रिसीव करने के लिए इस कुंजी का प्रयोग करते हैं |
F10- यह माउस के राइट क्लिक के समान कार्य करती है।
F 11- किसी भी प्रोग्राम या एप्लीकेशन को फुल स्क्रीन मोड मे चलाने के लिए ।
F12- Save as डायलॉग बॉक्स ओपन करने के लिए।
Tab :- Tab keys का उपयोग एक साथ 5 कैरक्टर का स्पेस देने के लिए करते हैं।
Caps lock :- यह अक्षर के Uppercase और lowercase से संबंधित है।
Shift key :- Shift key का उपयोग लेटर को Uppercase मे लिखने के लिए किया जाता है।इसके अलावा किसी कुंजी के ऊपर वाले अक्षर को लिखने के लिए इस कुंजी का प्रयोग किया जाता है।
Spacebar :- इस कुंजी का उपयोग कर्सर को एक अक्षर आगे खिसकाने के लिए किया जाता है।
Enter :- इस कुंजी का उपयोग अगली लाइन शुरू करने के लिए किया जाता है। Enter Key ok बटन का भी कार्य करती है।
Backspace :- Backspace का उपयोग कर्सर के पीछे के तथा सिलेक्ट किए हुए टेक्स्ट को डिलीट करने के लिए किया जाता है ।
ESC KEY - ESC key का पूर्ण रूप escape है । इस कुंजी के प्रयोग वर्तमान मे खुली किसी टास्क को बंद कर सकते हैं ।
Ctrl keys :Ctrl कुंजी का पूरा नाम Control कुंजी है इसका उपयोग शॉर्टकट मे किया जाता है।
Alt Keys:- Alt कुंजी का पूरा नाम Alter कुंजी है ।इसका उपयोग भी शॉर्टकट मे किया जाता है ।
Window Logo key :- इस कुंजी का उपयोग start मैन्यू को खोलने के लिए किया जाता है ।
Menu Key:- यह माउस के राइट क्लिक के समान कार्य करती है।
Pause Break Key:- इस कुंजी का प्रयोग किसी प्रोग्राम के किसी एक्शन को रोकने के लिए किया जाता है।गेम खेलते समय, विडियो देखते समय इस कुंजी का प्रयोग करते हैं।
इसका प्रयोग कंप्यूटर स्क्रीन की इमेज लेने के लिया किया जाता है।
Scroll lock :- यह scrolling का कार्य करती है ,कंप्यूटर पर आ रही सूचना को एक स्थान पर रोक देतीहै।
Arrow Keys :- इनकी संख्या 4 होती है।UP keys, Down Key, Left key, Right key. इस कुंजी का प्रयोग कर्सर और वेबपेज को एरो की दिशा मे जाने के लिए करते हैं।
Home Key : इस कुंजी का उपयोग कर्सर को documents के आरंभ मे ले जाने के लिए करते हैं ।
End Key :- इस कुंजी का प्रयोग कर्सर को documents के अंत मे ले जाने के लिए करते हैं ।
Insert Key : इस कुंजी का प्रयोग इन्सर्ट मोड को ऑन और ऑफ करने के लिए किया जाता है ।इसके द्वारा हम टेक्स्ट ओवरराइट कर सकते हैं ।
Pageup Key :- इस कुंजी का प्रयोग कर्सर को डॉक्युमेंट मे ऊपर ले जाने के लिए करते हैं| Pagedown Key :-इस कुंजी का प्रयोग कर्सर को डॉक्युमेंट मे नीचे ले जाने के लिए करते हैं ।
Delete Key :- इस कुंजी का प्रयोग सेलेक्ट किए गए फ़ाइल, फोल्डर आदि को डिलीट करने के लिए किया जाता है ।
Home Key : इस कुंजी का उपयोग कर्सर को documents के आरंभ मे ले जाने के लिए करते हैं ।
End Key :- इस कुंजी का प्रयोग कर्सर को documents के अंत मे ले जाने के लिए करते हैं ।
Insert Key : इस कुंजी का प्रयोग इन्सर्ट मोड को ऑन और ऑफ करने के लिए किया जाता है ।इसके द्वारा हम टेक्स्ट ओवरराइट कर सकते हैं ।
Pageup Key :- इस कुंजी का प्रयोग कर्सर को डॉक्युमेंट मे ऊपर ले जाने के लिए करते हैं| Pagedown Key :-इस कुंजी का प्रयोग कर्सर को डॉक्युमेंट मे नीचे ले जाने के लिए करते हैं ।
Delete Key :- इस कुंजी का प्रयोग सेलेक्ट किए गए फ़ाइल, फोल्डर आदि को डिलीट करने के लिए किया जाता है ।
Numeric keypad को कैल्कुलेटर कुंजी भी कहते हैं। क्यूंकि इनका उपयोग अधिकतर कैलक्युलेशन के लिए किया जाता है। यह कुंजीपटल मे दाहिनी तरफ स्थित होता है।
यह एक इनपुट डिवाइस है जिसे पोइंटिंग डिवाइस भी कहा जाता है |माउस का आविष्कार डॉ डग्लस इंजेल बर्ट ने 1964 में किया था |माउस में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का प्रयोग किया गया|| माउस को कंप्यूटर मदरबोर्ड पर बने PS2 पोर्ट या यूएसबी पोर्ट से जोड़ा जाता है| माउस की सहायता से हम कंप्यूटर स्क्रीन पर कर्सर या किसी ऑब्जेक्ट को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जा सकते हैं| माउस में तीन बटन होते हैं |
Left Button :- यह माउस के बायीं ओर होती है | इससे क्लिक,डबल क्लिक,पॉइंट का काम किया जाता है |
Right Button :- यह माउस के दाई ओर होती है | यह कुछ विशेष कार्यों के लिए प्रयोग की जाती है जैसे मेनू बॉक्स खोलने, प्रॉपर्टीज देखने के लिए |
Center Button :-इसका प्रयोग डॉक्यूमेंट को ऊपर नीचे करने के लिए किया जाता है |इसे स्क्रॉल बटन भी कहते हैं |
ट्रैक बाल:-यह माउस का ही एक रूप है जिसमें रबर बॉल नीचे ना होकर ऊपर होती है इसमें माउस को अपने स्थान से हटाए बिना रबर बॉल को घुमाकर माउस प्वाइंटर के स्थान में परिवर्तित किया जाता है | ट्रैकबॉल का प्रयोग लैपटॉप कंप्यूटर में माउस के स्थान पर किया जाता है |
जॉयस्टिक :-यह एक पॉइंटिंग डिवाइस है जो ट्रैकबाल की तरह ही कार्य करती है | इसमें बाल के साथ एक छड़ी लगा दी जाती है ताकि बाल को आसानी से घुमाया जा सके| इसका उपयोग वीडियो गेम,सिमुलेटर प्रशिक्षण,रोबोट नियंत्रण आदि में किया जाता है |
प्रकाशीय पेन:- यह पेन के आकार का पॉइंटिंग डिवाइस है जिसका प्रयोग इनपुट डिवाइस की तरह किया जाता है| इसका प्रयोग कंप्यूटर स्क्रीन पर लिखने, चित्र बनाने या बारकोड को पढ़ने में किया जाता है | स्कैनर :-यह एक इनपुट डिवाइस है जिसका प्रयोग टेक्स्ट,फोटो या रेखाचित्र को डिजिटल फोटो में परिवर्तित करने के लिए किया जाता है| स्कैनर मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं :-
1-फ्लैटबेड स्कैनर 2- हैण्ड हेल्ड स्कैनर
बारकोड रीडर :-बारकोड का आविष्कार 1940 में जोसेफ वुडलैंड तथा बर्नाड सिल्वर ने किया था जबकि इसका प्रसार ऐलन हैबर मैन ने किया |भारत में सन 1998 में नेशनल इंफॉर्मेशन इंडस्ट्रियल वर्क फोर्स ने सभी उत्पादों पर बारकोड का प्रयोग अनिवार्य कर दिया | बारकोड विभिन्न चौड़ाई की ऊर्ध्वाधर काली पट्टियां होती हैं उनकी चौड़ाई और दो पट्टियों के बीच की दूरी के हिसाब से उनमें सूचनाएं निहित रहती हैं इन सूचनाओं को बारकोड रीडर की सहायता से कंप्यूटर में डालकर उत्पाद और वस्तु के प्रकार आदि का पता लगाया जा सकता है |
आउटपुट:- हमारे द्वारा इनपुट किए गए डाटा में प्रोसेसिंग होकर जो परिणाम हमें प्राप्त होता है वह आउटपुट कहलाता है |कंप्यूटर आउटपुट को दो भागों में बांटा गया है सॉफ्ट कॉपी और हार्ड कॉपी |
सॉफ्ट कॉपी आउटपुट :-यह एक अस्थाई आउटपुट है जिसे हम छू नहीं सकते |यह डिजिटल रूप में होता है जिसे हम कंप्यूटर या उचित सॉफ्टवेयर के बिना पढ़ व् देख नहीं सकते | सॉफ्ट कॉपी आउटपुट को इलेक्ट्रॉनिक मेमोरी में स्टोर किया जाता है तथा नेटवर्क पर एक स्थान से दूसरे स्थान तक भेजा जाता है | सॉफ्ट कॉपी आउटपुट में परिवर्तन करना आसान होता है |इसमें कागज ,स्याही की बचत होती है|
उदहारण मानीटर ,स्पीकर |
हार्ड कॉपी आउटपुट :-यह कागज पर प्रस्तुत स्थाई परिणाम है | जिसे हम छु सकते हैं और इसको कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के बिना भी देखा जा सकता है | इसमें परिवर्तन करना भी आसान नहीं होता | उदहारण :-प्रिंटर,प्लाटर |
मानीटर:- यह सॉफ्ट कॉपी प्रदान करने वाला लोकप्रिय आउटपुट डिवाइस है जो डाटा या सूचना पर प्रोसेस करके हमें परिणाम प्रदान करता है |
कलर के आधार पर मॉनीटर तीन प्रकार के होते हैं -मोनोक्रोम मॉनीटर, ग्रे स्केल मॉनीटर ,कलर मॉनीटर मोनोक्रोम मॉनीटर:- यह मॉनीटर दो रंग में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है | मॉनीटर के पृष्ठभूमि में एक रंग होता है जबकि सामने दिखने वाले ऑब्जेक्ट का रंग दूसरा होता है |
ग्रेस्केल मॉनीटर यह मोनोक्रोम मानीटर का ही एक रूप है जिसमें काले और सफेद रंगों के मिश्रण से कई शेड प्रदर्शित किए जाते हैं |
कलर मॉनीटर:- इसमें तीन मूल रंग लाल, हरा और नीला का प्रयोग किया जाता है अतः इसे RGB मॉनीटर भी कहा जाता है |यह 16,32 या 256 रंगों में डिस्प्ले प्रदर्शित करता है | मॉनीटर की गुणवत्ता की पहचान रिफ्रेश रेट,डॉट पिच ,रिजोल्यूशन, रेसपांस टाइम से की जाती है |
प्रिंटर एक मशीन है जो कंप्यूटर स्क्रीन पर प्रदर्शित आउटपुट को कागज पर प्रिंट करता है | यह हार्डकॉपी या स्थायी प्रति प्रदान करने वाला आउटपुट डिवाइस है| प्रिंटर की गुणवत्ता रिजोल्यूशन से मापी जाती है| प्रिंटर को सिस्टम यूनिट के पैरालेल पोर्ट से जोड़ा जाता है |
प्रिंटर का वर्गीकरण हम दो प्रकार से कर सकते हैं -प्रिंट क्षमता के अनुसार और प्रिंट करने के तरीके से
कैरेक्टर प्रिंटर :- यह एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंटर करता है |
लाइन प्रिंटर :-यह एक बार में एक पूरी लाइन प्रिंट करता है |इसकी प्रिंट करने की गति तेज होती है |
पेज प्रिंटर :-यह प्रिंटर एक बार में एक पूरा पेज प्रिंट करता है |
यह टाइपराइटर की तरह पेपर और इंक रिबन पर दबाव डालकर प्रिंट करता है |इसके द्वारा केवल एक ही रंग का आउटपुट प्राप्त किया जा सकता है जो रिबन के रंग पर निर्भर करता है |
डॉट मैट्रिक्स प्रिंटर :-यह धीमी गति का इंपैक्ट प्रिंटर है जो एक बार में एक कैरेक्टर प्रिंट करता है | इसमें एक प्रिंटहेड होता है जो बाएं से दाएं तथा दाएं से बाएं घूमता है | इनका प्रारंभिक मूल्य और प्रति कॉपी खर्च कम होता है परंतु प्रिंट की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती |
Daisy wheel printer
इसमें रिबन नहीं रहता तथा विद्युत या रासायनिक विधि से स्याही का छिड़काव कर प्रिंट प्राप्त किया जाता है | इसके द्वारा कार्बन कॉपी नहीं प्राप्त की जा सकती | इनकी गति तेज होती है | इनसे काला तथा रंगीन दोनों प्रकार के आउटपुट प्राप्त किए जाते हैं |
थर्मल प्रिंटर :-यह नॉन इंपैक्ट कैरेक्टर प्रिंटर है | इसमें रसायन युक्त विशेष कागज का प्रयोग किया जाता है जिस पर ताप के प्रभाव से आवश्यक आकृति प्राप्त की जाती है | इसकी प्रिंट गुणवत्ता अच्छी होती है परंतु खर्च भी अधिक होता है |
इंकजेट प्रिंटर :- यह नॉन इंपैक्ट करैक्टर प्रिंटर है जिसमें स्याही की बोतल रखी जाती है | इसमें एक प्रिंटहेड होता है जिसमें 64 छोटे जेट नोजल होते हैं |इनसे मनचाहे कैरेक्टर और आकृतियां प्राप्त की जाती है |इसकी प्रिंट गुणवत्ता अच्छी होती है ,इसका आरंभिक लागत कम परंतु प्रति काफी खर्च अपेक्षाकृत अधिक है |
लेजर प्रिंटर :- यह उच्च गति वाला नॉन इंपैक्ट प्रिंटर है | इसमें सेमीकंडक्टर लेजर बीम, प्रकाशीय ड्रम तथा आवेशित स्याही टोनर का प्रयोग किया जाता है | लेजर प्रिंटर की गुणवत्ता अच्छी होती है |यह एक खर्चीला उपकरण है परन्तु इसमें प्रति कॉपी खर्च कम आता है |
यह प्रिंटर की तरह हार्ड कॉपी देने वाला एक आउटपुट डिवाइस है | जिसका उपयोग बड़े कागज पर उच्च गुणवत्ता वाले रेखा चित्र प्राप्त करने के लिए किया जाता है | यह दो प्रकार के होते हैं,
1- ड्रम प्लॉटर 2 - समतल प्लॉटर
कंप्यूटर को इनपुट, आउटपुट तथा अन्य पेरीफेरल डिवाइस के साथ जोड़ने के लिए मदरबोर्ड पर स्थान बने होते हैं जिन्हें इनपुट / आउटपुट पोर्ट कहा जाता है |
सीरियल पोर्ट:- मदर बोर्ड पर बने इस पोर्ट द्वारा एक बार में एक बिट डाटा का स्थानांतरण किया जाता है |इसका प्रयोग मॉडेम , बार कोड रीडर ,माउस ,डिजिटल कैमरा आदि को कंप्यूटर से जोड़ने के लिये किया जाता है |
पैरालेल पोर्ट :-इसमें 25 पिन का कनेक्टर होता है |जिसमे एक साथ 8 बिट या उससे अधिक डाटा का आदान प्रदान किया जा सकता है |इसकी गति तीव्र होती है |
यूएसबी पोर्ट :-यह एक एक्सटर्नल बस है जो लगभग सभी पेरिफेरल डिवाइस को computer से जोड़ने में सक्षम है |यह प्रिंटर ,की बोर्ड ,माउस ,कैमरा ,स्कैनर ,पेन ड्राइव आदि को जोड़ने में सक्षम है |
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Nice content Thanks.
ReplyDeleteAlso Read : Top 10 sites to learn Excel for free