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Monday, July 29, 2019

HISTORY OF COMPUTER

Abacus :- विश्व का प्रथम गणनात्मक यंत्र अबेकस है,जिसका अविष्कार ली काई चेन ने 1450 ईसवी  मे चीन में किया था।  यह यंत्र आयताकार लकड़ी के बक्से के रूप मे था। यह यंत्र 11 लोहे की छड़ों से निर्मित था ।इसमे मोतियों के रिंग लगे हुए थे जिसकी सहायता से गणना को आसान बनाया गया।



नेपियर बोन्स :- इसका आविष्कार जॉन नेपियर ने वर्ष 1617 में स्कॉटलैंड में किया था |यह नक्कासीदार हड्डियों से मिलकर बना था |इसका उपयोग गुणा करने में किया जाता था |

पास्कलाइन : ब्लेज पास्कल ने सन 1642 0 में प्रथम यांत्रिक गणना मशीन का आविष्कार किया जो केवल जोड़ या घटाने का कार्य कर सकती थी अतः इसे एडिंग मशीन भी कहते हैं।

डिफरेंस इंजन और एनालिटिकल इंजन :
कंप्यूटर के जनक ब्रिटिश गणितज्ञ चार्ल्स बैबेज ने 1822 में डिफरेंस इंजन का आविष्कार किया जो  भाप से चलता था और गणना करने का कार्य करता था। सन 1842 ईसवी में चार्ल्स बैबेज ने ही एक स्वचालित मशीन एनालिटिकल इंजन बनाया जो पंच कार्ड के दिशा निर्देशों के अनुसार कार्य करती थी और मूलभूत अंकगणित  गणनाएँ करती थी | जैसे:जोड़ घटाना गुणा भाग आदि कार्य कर सकती थी।

नोट :-लेडी एडा आगस्टा को दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर माना जाता है।
इन्होने  एनालिटिकल इंजन में पहला प्रोग्राम डाला अतः इन्हें दुनिया का प्रथम प्रोग्रामर भी कहा जाता हैउन्हें दो अंको की संख्या प्रणाली बाइनरी सिस्टम के आविष्कार का भी श्रेय दिया जाता है|

Census Tabulator : अमेरिकी वैज्ञानिक हर्मन होलेरिथ ने सन 1890 में एक विद्युत चालक यंत्र का आविष्कार किया,इसका प्रयोग अमेरिकी जनगणना में किया गया इन्हें कंप्यूटर के अनुप्रयोग के लिए मेमोरी के रूप में पंच कार्ड के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है।

पंच कार्ड कागज का बना एक कार्ड है जिसमें पंच द्वारा छेद बना कर कंप्यूटर डाटा तथा प्रोग्राम स्टोर किया जाता था |पंच कार्ड रीडर द्वारा पंचकार्ड पर स्टोर किए गए डेटा को पढ़ा जाता है।


मार्क I:-  आईबीएम नामक कंपनी के सहयोग तथा वैज्ञानिक हावर्ड आइकन के निर्देशन में विश्व के प्रथम पूर्ण स्वचालित विद्युत यांत्रिक गणना यंत्र का आविष्कार 1946 में हुआ था जिसको मार्क फर्स्ट के नाम जानते हैं।

एनिएक :- अमेरिकी वैज्ञानिक जे०पी०एकर्ट तथा जान मुचली ने सामान्य कार्यों के लिए प्रथम पूर्ण इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर का आविष्कार 1946 में किया जिसे एनिएक के नाम से जानते हैं|

Univac : व्यापारिक और अन्य सामान्य कार्यों के लिए यूनीवैक कंप्यूटर का निर्माण किया गया प्रथम व्यापारी कंप्यूटर यूनिवेक फर्स्ट का निर्माण 1954 में जीइसी ने किया था |

GEC: GENRAL ELECTRIC CORPORATION

माइक्रो प्रोसेसर
इंटेल नामक कंपनी द्वारा प्रथम माइक्रोप्रोसेसर इंटेल 4004 का आविष्कार सन 1970 किया गया|  माइक्रो प्रोसेसर के आविष्कार से छोटे आकार के कंप्यूटर का निर्माण संभव हुआ जिन्हें माइक्रोकंप्यूटर कहा गया|

कंप्यूटर का वर्गीकरण
कंप्यूटर का वर्गीकरण तीन आधार पर किया गया है
हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर ,कार्य पद्धति के आधार तथा आकार और कार्य के आधार पर| 
1-हार्डवेयर के उपयोग के आधार पर
इस आधार पर कंप्यूटर को भागों में बांटा गया है प्रथम पीढ़ी  ,द्वितीय पीढ़ी,तृतीय पीढ़ी ,चतुर्थ पीढ़ी ,पंचम पीढ़ी |

1.1     प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर  1942 -1955  (FIRST GENRATION)
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के निर्माण में निर्वात ट्यूब का प्रयोग किया गया |यह आकार में बड़े और अधिक ऊर्जा खपत करने वाले थे |इनकी भंडारण क्षमता कम तथा गति बहुत धीमी होती थी | इनमें गलतियां होने की संभावना भी अधिक रहती थी अतः हम यह कह सकते हैं इनका संचालन एक खर्चीला काम था| उदहारण :-एनिएक ,यूनिवेक,आई बी एम् |

द्वतीय पीढ़ी के कंप्यूटर 1955 -1964 (SECOND GENRATION)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटरों में निर्वात ट्यूब की जगह सेमीकंडक्टर ट्रांजिस्टर का प्रयोग किया गया जो अपेक्षाकृत हल्के छोटे और कम विद्युत खपत करने वाले थे | इसमें डाटा तथा सॉफ्टवेयर के भंडारण के लिए मेमोरी के रूप में चुंबकीय भंडारण उपकरणों जैसे मैग्नेटिक टेप तथा मैग्नेटिक डिस्क आदि का प्रयोग होने लगा ।

तृतीय पीढ़ी के कंप्यूटर 1964 -1975(THIRD GENRATION)
इस पीढ़ी के कंप्यूटर में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट चिप अर्थात आई सी का प्रयोग किया गया | इनपुट तथा आउटपुट उपकरण के रूप में की बोर्ड तथा मॉनिटर का प्रयोग इसी युग से प्रारंभ होता है,उच्च स्तरीय भाषा में पीएल-1,पास्कल तथा बेसिक का विकास हुआ|

चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर  1975 – 1989 (FOURTH GENRATION)
चतुर्थ पीढ़ी के कंप्यूटर में माइक्रोप्रोसेसर का प्रयोग किया गया माइक्रोप्रोसेसर के उपयोग से कंप्यूटर का आकार छोटा हो गया | इस पीढ़ी के कंप्यूटर में चुंबकीय डिस्क और टेप के स्थान पर अर्धचालक मेमोरी का प्रयोग होने लगा | इस पीढ़ी के कंप्यूटर में कई चीजों का विकास हुआ जिससे कंप्यूटर का उपयोग आसान हो गया जैसे उच्च गति वाले कंप्यूटर नेटवर्क लैन और वैन का,सॉफ्टवेयर में ग्राफिकल यूजर इंटरफेस का,ऑपरेटिंग सिस्टम में एमएस डॉस,माइक्रोसॉफ्ट विंडोज तथा एप्पल ऑपरेटिंग सिस्टम का, उच्च स्तरीय भाषा में सी भाषा का विकास हुआ|

पांचवीं पीढ़ी के कंप्यूटर   1989 –अब तक (FIVETH GENRATION)

इस पीढ़ी के कंप्यूटर अत्यंत छोटे होते थे और उनकी गणना क्षमता अत्यंत तीव्र होती थी| इसमें भंडारण क्षमता के लिए ऑप्टिकल डिस्क जैसे सीडी,डीवीडी या ब्लू रे डिस्क का, नेटवर्किंग के क्षेत्र में इंटरनेट, ईमेल, WWW का विकास हुआ |

कार्य पद्धति के आधार पर वर्गीकरण :-
कार्य पद्धति के आधार पर कंप्यूटर को तीन भागों में बांटा गया है
एनालॉग कंप्यूटर ,डिजिटल कंप्यूटर और हाइब्रिड कंप्यूटर |

एनालॉग कंप्यूटर:- इस कंप्यूटर में डाटा का निरूपण लगातार परिवर्तित होने वाली राशि के रूप में होता है |एनालॉग कंप्यूटर की गति अत्यंत धीमी होती है वर्तमान समय में इन कंप्यूटर का प्रयोग बंद हो गया है |
उदाहरण :-एक साधारण घड़ी वाहन,गति मीटर,वोल्ट मीटर आदि |

डिजिटल कंप्यूटर :- यह इलेक्ट्रॉनिक संकेतों पर चलते हैं तथा गणना के लिए बाइनरी सिस्टम का प्रयोग किया जाता है | इनकी गति तीव्र होती है |

हाइब्रिड कंप्यूटर :-यह डिजिटल तथा एनालॉग कंप्यूटर का मिश्रित रूप है इसमें गणना प्रोसेसिंग के लिए डिजिटल का प्रयोग किया जाता है जबकि इनपुट तथा आउटपुट में एनालॉग का उपयोग किया जाता है |
आकार और कार्य के आधार पर वर्गीकरण
आकार एवं कार्य के आधार पर कंप्यूटर को चार भागों में बांटा गया है मेनफ्रेम कंप्यूटर,मिनी कंप्यूटर,माइक्रो कंप्यूटर और सुपर कंप्यूटर

मेनफ्रेम कंप्यूटर:- यह आकार में काफी बड़े  होते हैं |इनकी स्टोरेज क्षमता तथा डाटा प्रोसेस करने की गति तीव्र होती है | मेनफ्रेम कंप्यूटर से जुड़कर एक साथ कई लोग अलग-अलग कार्य कर सकते हैं अतः इसे मल्टीयूजर कंप्यूटर कहा जाता है |
उपयोग :- रेलवे आरक्षण केंद्र ,रक्षा ,अनुसंधान ,बैंक आदि क्षेत्रों में किया जाता है |

मिनी कंप्यूटर:- यह आकार में मेनफ्रेम कंप्यूटर से छोटे जबकि माइक्रो कंप्यूटर से बड़े होते हैं इसका आविष्कार 1965 में डीईसी नामक कंपनी ने किया था इसमें एक से अधिक माइक्रो प्रोसेसर का प्रयोग किया जाता है इनकी संग्रहण क्षमता और गति अधिक होती है |

माइक्रो कंप्यूटर :-माइक्रो कंप्यूटर का विकास 1970 में प्रारंभ हुआ इसका विकास सर्वप्रथम आईबीएम कंपनी ने किया इस कंप्यूटर में सीपीयू में माइक्रो प्रोसेसर का उपयोग किया गया| पर्सनल कंप्यूटर, लैपटॉप कंप्यूटर, नोटबुक कंप्यूटर, टैबलेट तथा स्मार्टफोन माइक्रो कंप्यूटर के ही विभिन्न रूप हैं |

सुपर कंप्यूटर :- सुपर कंप्यूटर अत्यधिक तीव्र प्रोसेसिंग शक्ति और विशाल भंडार क्षमता वाले होते हैं | सुपर कंप्यूटर का निर्माण उच्च क्षमता वाले हजारों प्रोसेसर को एक साथ समांतर क्रम में जोड़कर किया जाता है |सुपर कंप्यूटर के प्रोसेसिंग स्पीड की गणना एफ एल पी एस में की जाती है | विश्व के प्रथम कंप्यूटर का निर्माण अमेरिका के क्रे रिसर्च कंपनी ने किया था जिसकी स्थापना साईं मर्करी ने की थी अतः सायमा क्रेको सुपर कंप्यूटर का जन्मदाता भी कह सकते हैं|
नोट: प्रथम भारतीय सुपर कंप्यूटर फ्लो सालवर है जिसका विकास नाल बेंगलुरु द्वारा 1980 में किया गया| भारत में परम सीरीज के सुपर कंप्यूटर का निर्माण सी डैक द्वारा किया गया |

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