भारतीय उपमहाद्वीप में विभाजन के साथ कट्टर प्रतिद्वंदिता कि वजह से पाकिस्तान का निर्माण हुआ ,विभाजन का यह ऐतिहासिक आधार आज भी दोनों देशो के संबंधों को प्रभावित कर रहे है | आधुनिक पाकिस्तान चौधरी रहमत अली तथा मोहम्मद अली जिन्ना की धार्मिक सोच का परिणाम है | वही भारत का निर्माण लोकतान्त्रिक बहुलवादी राज्य के रूप में हुआ |
भारत पाकिस्तान सम्बन्ध
भारत-पाकिस्तान सम्बन्ध अच्छे ना होने के सबसे बड़े कारण सामाजिक सांस्कृतिक संरचना,राजनीतिक संरचना ,धार्मिक विचार और आईडियोलॉजी है | अगर दोनों के मध्य विवादों को देखा जाए ,कश्मीर सीमा पारीय आतंकवाद, सरक्रीक विवाद,सियाचिन विवाद आदि |
कश्मीर मुद्दा
भारत विभाजन के बाद कश्मीर रियासत का भारत में विलय हो गया परंतु पाकिस्तान इस बात को आज तक स्वीकार नहीं कर पाया है | अधिकतर नदियां कश्मीर से होकर पाकिस्तान को गुजरती हैं इसीलिए पाकिस्तान कश्मीर पर अपना अधिकार चाहता है | पाकिस्तान कश्मीर के बिना अपने राष्ट्र निर्माण का अधूरा मानता है |
सरक्रीक विवाद
सरक्रीक की खाड़ी भारत के गुजरात और पाकिस्तान के सिंध प्रांत के मध्य स्थित है | 96 किलोमीटर लंबे इस शहरी क्षेत्र में प्राकृतिक गैस और पेट्रोलियम का भंडार है |आजादी के बाद इस क्षेत्र का स्पष्ट विभाजन नहीं हो सका जिसके कारण अक्सर विवाद होता रहता है | सन 1965 में भारत पाकिस्तान के मध्य युद्ध के बाद यह विवाद अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में चला गया जहां पर यह फैसला आया कि 90% क्षेत्रफल पर भारत का अधिकार और 10 % क्षेत्रफल पर पाकिस्तान का अधिकार रहेगा परंतु 1980 में यहां पर प्राकृतिक संपदा की खोज हुई इससे पाकिस्तान यहां पर अपना अधिकार ठोकने लगा |
सिंधु नदी समझौता
- भारत-पाकिस्तान के विभाजन के साथ ही नदियों का विभाजन हो गया, जिसमें सिंधु नदी की पूर्वी नदियों जैसे झेलम,चिनाब आदि के 80 फ़ीसदी जल का उपयोग पाकिस्तान और बाकी जल के उपयोग का अधिकार भारत को मिला है |
- जबकि सतजल और रावी नदी पर 80 % पर भारत का अधिकार है |
- वर्ष 2016 में भारत के पठानकोट पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने सिंधु नदी जल समझौते पर समीक्षा करने की बात कही है |
भारत-पाक संवाद पर आशंका
आजादी के बाद से ही निरंतर पाकिस्तान क्षद्म युद्ध का सहारा लेता रहा है | कई बार ऐसे मौके आए जब भारत ने पाकिस्तान के गलत इरादों की अनदेखी कर दोस्ती का हाथ बढ़ाया परंतु भारत की हर पहल के बाद पाकिस्तान के नापाक इरादे ही सामने आए हैं |
सन 1999 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी ने लाहौर बस यात्रा की थी परंतु इसके बाद ही मई 2019 में ही भारत को कारगिल युद्ध का सामना करना पड़ा जिसके बारे में किसी ने भी नहीं सोचा था |
आगरा शिखर वार्ता
15-16 जुलाई 2001 को भारतीय प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेई और पाकिस्तान के राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ के मध्य बहुचर्चित आगरा शिखर वार्ता का आयोजन हुआ, जो बिना किसी सहमत बिंदु पर पहुंचे ही समाप्त हो गई |
वर्ष 2014 में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने पाक के साथ रिश्ते सुधारने की दिशा में पहल करते हुए पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया | इसके बाद दिसंबर 2015 में प्रधानमंत्री मोदी जी की एक नियोजित पाक यात्रा हुई परंतु इसके 1 हफ्ते बाद ही पठानकोट एयरबेस पर पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा हमला किया गया | उसके बाद ही उड़ी और नगरोटा जैसे शहरों पर आतंकी हमलों से भारत को जूझना पड़ा था |
14 फरवरी 2019 को पुलवामा में सीआरपीएफ के वाहनों के काफिले पर आत्मघाती हमला हुआ जिसमें 40 जवान शहीद हो गए थे जिसका भारत में एयर स्ट्राइक द्वारा एक सफल सैनिक कार्यवाही की थी |
इसके बाद मोदी जी ने पाकिस्तान को दिए गए मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा वापस लेने का फैसला किया और साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने कहा -
"खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते हैं"
और सिंधु जल समझौते की समीक्षा की बात की थी |
तत्कालीन वित्त मंत्री सुषमा स्वराज जी ने भी पाकिस्तान की निंदा करते हुए कहा कि
"बोली और गोली एक साथ नहीं चल सकती है"
भारत-पाक व्यापारिक रिश्ते
अक्सर यह होता है कि कूटनीतिक और सामाजिक तनावों से हम यह मान लेते हैं कि दोनों देशों के बीच में कुछ भी अच्छा नहीं हो रहा है परंतु यह सच नहीं होता है | पाकिस्तान भारत से 1950 वस्तुओं का आयात करता है |वित्तीय वर्ष 2018-19 में पाकिस्तान को भारत से होने वाला निर्यात 1.27 बिलियन डॉलर का था |
भारत-पाक संबंधों में सुधार ना होने के कारण
- प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक पाकिस्तान में ठहराव् रहा है |
- भारत कि पहल के बाद भी पाकिस्तान की तरफ से आपेक्षिक सहयोग ना मिलना भी सबसे बड़ा कारण है दोनों देशो के सम्बन्ध ख़राब होने में |
- दोनों देशों में विवाद में पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति भी जिम्मेदार है कट्टरपंथी ताकतें ,सरकारी नीतियों में सेना का वर्चस्व से निर्वाचित सरकार कमजोर हो जाती है
भारत-पाक संबंधों की आगे की राह
- पाकिस्तान को अपनी विदेश से आतंकवाद से हटाना होगा |
- भारत को भी पाकिस्तान की तरह उत्साह दिखाने की जगह नई सरकार पर नजर रखना बेहद जरूरी होगा |
- भारत को अपनी उदारता कम करके कूटनीतिक स्तर पर कुशलता दिखानी होगी |
निष्कर्ष
भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर नहीं है समस्या ,समस्या है पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद और क्षद्मवार है जिसे पाकिस्तान को समझने की जरूरत है |
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